
जांजगीर। दीपावली इस बार छह दिनों तक मनाई जाएगी, जिसकी शुरुआत 18 अक्टूबर को धनतेरस से होगी। इस दौरान हनुमान जन्मोत्सव, दीपावली, गोवर्धन पूजा और भैया दूज जैसे पर्व मनाए जाएंगे। हर दिन ग्रह-नक्षत्रों का विशेष संयोग बनेगा, जिससे पर्व का महत्व और बढ़ जाएगा। धनतेरस पर सोना, चांदी और बर्तन खरीदना शुभ माना जाता है, जो धन और समृद्धि का प्रतीक है।
उत्कृष्ट योग, अद्भुत संयोग में दीपोत्सव का शुभारंभ होगा। सुख, समृद्धि और सनातन संस्कारों का प्रतीक दीपोत्सव अबकी छह दिनों तक चलेगा। इसकी शुरुआत कार्तिक कृष्णपक्ष त्रयोदशी तिथि से होगा।
यम-नियम से दीपदान, उपासना से लक्ष्मी की कृपा बरसेगी
धनतेरस, हनुमान जन्मोत्सव, दीपावली, गोवर्धन पूजा व भइया दूज जैसे पर्व लगातार मनाए जाएंगे। हर दिन ग्रह-नक्षत्रों का अद्भुत संयोग बनने से पर्व का महत्व बढ़ गया है। यम-नियम से दीपदान व देव उपासना करने वाले साधकों के ऊपर मां लक्ष्मी की कृपा बरसेगी
ब्रह्म योग, त्रिग्रहीय संयोग में पर्व श्रीगणेश
पंडितों के अनुसार कार्तिक कृष्णपक्ष त्रयोदशी तिथि 18 अक्टूबर से दीपोत्सव शुरू हो गया। त्रयोदशी तिथि 18 अक्टूबर की दाेपहर 1.22 बजे लगकर 19 अक्टूबर की दोपहर 1.55 बजे तक रहेगी। धनतेरस पर्व शनिवार को मनाया गया। शनि प्रदोष के साथ ही ब्रह्म योग रहा
अमावस्या 21, गोवर्धन पूजा 22 को
समुद्र मंथन में जिस कलश के साथ भगवती लक्ष्मी का अवतरण हुआ था। धनतेरस पर उसके प्रतीक स्वरूप धन, ऐश्वर्य वृद्धि की कामना से सोना, चांदी, बर्तन, वाहन, भौतिक सुख साधना की खरीदारी करना चाहिए। दीपावली के अगले दिन गोवर्धन पूजा होती थी, लेकिन अबकी अमावस्या दीपावली के अगले दिन भी रहेगी। इसके चलते 21 अक्टूबर को स्नान-दान श्राद्ध की अमावस्या रहेगी। महावीर स्वामी का निर्वाण दिवस भी इसी दिन मनाया जाएगा, जबकि गोवर्धन पूजा 22 अक्टूबर को होगी।
कब क्या मनाया जाएगा
-18 अक्टूबर को कार्तिक कृष्णपक्ष की द्वादशी शाम 6.31 बजे तक है। शाम 6.32 बजे से त्रयोदशी तिथि लगेगी। इसके साथ प्रदोष का व्रत भी है। दीपदान शाम को किया जाता है। धनतेरस का पर्व उक्त तारीख को मनाया जाएगा। मुख्य दरवाजे पर चार दीपक जलाने से अकाल मृत्यु के भय से मुक्ति मिलती है। मां लक्ष्मी, गणेश, कुबेर व इंद्र का पूजन करने का विधान है।
चतुर्दशी पर करें सुंदरकांड व हनुमान चालीसा का पाठ
-19 अक्टूबर को कार्तिक कृष्णपक्ष चतुर्दशी तिथि दोपहर 1.55 बजे लगेगी। हनुमान जी का जन्मोत्सव इसी तारीख को मनाया जाएगा। हनुमान जी मेष लग्न में जन्मे थे। मेष लग्न शाम 5.37 से 7.14 तक रहेगी। इसी समयावधि में हनुमान चालीसा, सुंदरकांड का पाठ करके संकटमोचन की विधिवत पूजा करनी चाहिए
20 को मनाई जाएगी दिवाली दोपहर 2:57 बजे से शुरू होगी अमावस्या
-20 अक्टूबर की दोपहर 2.56 बजे तक चतुर्दशी तिथि है। कार्तिक कृष्णपक्ष की अमावस्या दोपहर 2.57 बजे से लगेगी। सुबह स्नान के बाद हनुमत दर्शन करें। शाम 2.34 बजे 4..05 बजे तक कुंभ की स्थिर लग्न रहेगी। इसके बाद 7.10 से रात 9.06 बजे तक वृष की स्थिर लग्न में इसमें पूजन करना पुण्यकारी रहेगा।
–21 अक्टूबर को स्नान-दान श्राद्ध की अमावस्या रहेगी। महावीर स्वामी का निर्वाण दिवस।
-22 अक्टूबर को कार्तिक शुक्लपक्ष की प्रतिप्रदा तिथि शाम 6.18 बजे तक रहेगी। उक्त तारीख को गोवर्धन पूजा की जाएगी। गाय के गोबर का पर्वत बनाकर उसका पूजन करने से धन, वैभव व लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।
-23 अक्टूबर को कार्तिक शुक्लपक्ष की द्वितीया तिथि पर भैया दूज का पर्व मनाया जाएगा। बहनें भाई की बलाएं लेकर उनकी चिरायु की कामना करेंगी। यमराज के दूत चित्रगुप्त व कलम-दवात का पूजन इसी दिन किया जाएगा।